हमारा सरकारी तंत्र कितना लापरवाह है, इसका प्रमाण उस समय देखने को मिला जब जिला समाज कल्याण विभाग द्वारा 68 साल के एक जिंदा व्यक्ति को पेंशन के दस्तावजों में मृत अंकित कर उसकी पेंशन ही रोक दी गई। इससे भी ज्यादा हद तो तब हो गई, जब वह व्यक्ति 2 माह से बैंक में पेंशन न आने पर पता करने विभाग में पहुंचा और अधिकारियों ने उससे जिंदा होने का प्रमाण मांगा। वहीं जब सिटी तहलका ने इस बारे में जिला समाज कल्याण अधिकारी से बात की तो उन्होंने यह कहकर इस गलती से अपना पल्ला झाड़ लिया कि यह विभाग की नहीं बल्कि बैंक की गलती है। सवाल ये है कि गलती किसी की भी हो, लेकिन जीवित व्यक्ति को सामने खड़ा देखने के बाद भी विभाग उसके जिंदा होने की जांच की बात कह रहा है। वहीं, इस उम्र में भी एक जीवित व्यक्ति को अपने जिंदा होने का प्रमाण देना पड़ रहा है। क्या यही है सरकार की व्यवस्था।
और क्या दूं जिंदा होने के सबूत
पानीपत के थिराना गांव के 68 साल के चिमनलाल अजीब मुसीबत में फंस गए हैं। चिमनलाल जिंदा हैं, लेकिन समाज कल्याण विभाग के अधिकारी यह मानने को तैयार नहीं हैं। विभागीय अधिकारी कहते हैं कि आप चिमनलाल नामक व्यक्ति उनके रिकार्ड में 26 जून को मर चुके हैं। अगर जिंदा हो तो इसके सुबूत लेकर आओ। विभाग की इस बात पर अब चिमनलाल की समझ में नहीं आ रहा है कि वो जिंदा है और अधिकारियों के सामने खड़ा है, उससे ज्यादा अपने जिंदा होने का इससे ज्यादा और क्या सुबूत दे। बता दें कि समाज कल्याण विभाग ने 68 वर्षीय चिमनलाल पुत्र श्यामदास को रिकॉर्ड में मृत दिखा कर बुढ़ापा पेंशन बंद कर दी है। विडंबना देखिए, खुद को जिंदा साबित करने के लिए प्रमाण व पेंशन के लिए फरियाद लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन अफसर उन्हें जिंदा मानने को तैयार नहीं हैं। उनके जिन्दा साबित करने के लिए विभाग कर रहा जांच कर रहा है और गलती बैंक की बता रहा है।
बैंक में बिना मृत्यु प्रमाण-पत्र के चिमनलाल को कर दिया मृत घोषित
जब सिटी तहलका संवाददाता ने इस बारे में जिला समाज कल्याण अधिकारी रविंद्र हुड्डा से बात की तो उनका कहना था कि 3 महीने से चिमनलाल बैंक में पेंशन लेने नहीं गया। गांव के किसी व्यक्ति ने सूचना दी होगी कि चिमनलाल की मौत हो गई है, इसलिए बैंक में बिना मृत्यु प्रमाण पत्र के ही उसे मृत घोषित कर दिया। बैंक ने चिमनलाल को कैसे मृत घोषित किया है, इसकी जांच चल रही है।
विभाग अपनी गलती मानने को तैयार नहीं
सवाल ये है कि विभाग इतना होने के बाद भी अपनी कोई गलती मानने को तैयार नहीं है, उल्टे बैंक पर यह गलती थोप रहा है। चिमनलाल के बेटे रमन का कहना है कि विभाग ने जांच चंडीगढ़ के लिए भेज दी गई है। कैसी बिडंबना है कि एक जीवित आदमी के जिंदा रहने की जांच की जा रही है। ये विभागीय अधिकारियों के लिए ही नहीं वरन सरकार के लिए भी बेहद शर्म की बात है।